
भारतीय विद्या भवन द्वारा इतिहास के अनेक खण्ड ग्रंथ भारतीय इतिहास के सत्य को दर्शाने हेतु प्रकाशित हुए है। आर. सी. मजूमदार लिखते है -
सम्पादक का यह प्रयास रहेगा कि वह तीन सिद्धांतों का पालन कर सकें – इतिहास किसी व्यक्ति या समुदाय के सम्मानार्थ नहीं है, इसका लक्ष्य सत्य का वह प्रस्तुतिकरण है जो इतिहासकारों द्वारा मान्य ठोस मानकों पर आधारित हो और तीसरा बिना डर, द्वेष, दुर्भावना, पूर्वाग्रह, या भावावेश, राजनैतिक अथवा मानवीय, अतिरिक्त प्रभावों से...

केरल के अधिकांश राजा या तो ब्राह्मण थे या क्षत्रिय थे। यद्यपि राजा सामुद्री, वास्को डी गामा की गतिविधियों और उसके आचरण के प्रति संदेह करते हुए चिंताग्रस्त हो गया था फिर भी उसने वास्को डी गामा का स्वागत किया। जबकि स्थानीय मुस्लिम व्यापारियों ने इसका विरोध किया था। उन्हे शांत करने के लिए स्थानीय पुरोहित को भेजा गया जो उन्हें समझा सके कि वास्को डी गामा केवल व्यापारिक लक्ष्य लेकर आया है। इसके तत्काल बाद ही पुर्तगाली सेना ने केरल से गोवा तक के...

अनेक अवसरों पर जब मुस्लिम सेना का पाशविक कृत्य अपने चरम पर था, भारत भूमि में साहसी वीर निरंतर रूप से होते रहे।
एक मुस्लिम लेखाकार अल इद्रिसी कहता है – “भारतीय व्यापारी अपनी न्याय संगत नीति, ईमानदारी, नैतिकता तथा कार्य कौशल के कारण प्रसिद्ध है। मार्को पोलो ने भी दक्षिण गुजरात के व्यापारियों की प्रशंसा की है”। तेरहवीं शताब्दी के यात्री मार्को पोलो का दक्षिण गुजरात के व्यापारियों के प्रति कथन है -” यह बनिये-ब्राह्मण विश्व में सबसे अधिक विश्वसनीय है...

जिस समय सीमाक्षेत्र पर गुर्जर प्रतिहार के लोग, अरब देश के व्यापारियों द्वारा किये जा रहे अन्याय के विरुद्ध स्थानीय व्यापारियों के हित में अनवरत रूप से लड रहे थे तब उनके राजनैतिक प्रतिद्वंदी राष्ट्रकूट के लोग सनातन धर्म की रक्षा करने के स्थान पर इन्ही अरबवासियों को कई प्रकार की छूट दे रहे थे। यहां तक कि पूरे अरब देश में वहां की मूल संस्कृति को पूर्ण विनाश करने से पहले ही वहां के कई मुस्लिम समुदाय भारत में आकर बस चुके थे। हिन्दुओ ने कभी भी उन्हे...

महाभारत में दुर्योधन वध के पूर्व श्री कृष्ण युधिष्ठिर को समझाते है कि युद्ध में कपटी, चालाक तथा दुष्ट दुश्मन को उसी के तौर तरीकों से हराना आवश्यक हो जाता है[1]।
जब दुर्योधन वैशम्पायन तालाब में छिपा हुआ था, और वहां से बाहर आया तो युधिष्ठिर ने उसे अपने पसंद के किसी भी शस्त्र के साथ किसी भी पाण्डव से लडने हेतु आमंत्रित किया इसपर श्रीकृष्ण ने उसे समझाया कि पूर्व में जुआ खेलते समय की मूर्खता को वह पुनः न दोहरावे! यह युद्ध है! इसमें ऐसी मूर्खता उचित...

जब तक भोज जीवित रहा, गजनी कुछ विशेष प्राप्त कर पाने में सफल नहीं हो सका किंतु भोज को अनेक सनातन धर्मियों ने ही मिलकर युद्ध भूमि में मार दिया।
महमूद गजनी के बारम्बार हमलों तथा उसकी हिंसक घुसपैठियों के बाद भी यह क्षेत्र कुछ ही समय में अपनी पूर्व स्थिति में आ गये। उसके सोमनाथ मंदिर को नष्ट करने के पांच वर्षों के अंतराल के बाद ही गुजरात पहले से भी अधिक समृद्ध और शक्ति संपन्न हो गया। उन्होंने न केवल सोमनाथ मंदिर का अतिभव्य रूप में पुनर्निर्माण किया...

जो महिलाए उनके लिए अप्राप्य थी जैसे कि रानी रूपमती, रानी जयवंती, रानी दुर्गावती तथा अन्य भी उन्हे बादशाहों की अतृप्त वासना की आग में जलना पड़ा। इस प्रकार के अनेक विवरण अबुल फजल से लेकर विन्सेंट स्मिथ द्वारा लिखे गये है।
शाहजहां अपनी हिन्दू घृणा, निर्दयता, लालच और वासना के लिए कुख्यात था। फ्रेंकोइस बर्नियर ने लिखा है कि उसके स्वयं अपनी पुत्री जहान आरा से योन संबंध थे तथा उसने उसके सभी प्रेमियों की हत्या करवा दी थी। इतना ही नहीं उसने कुलीन दो...

संघर्ष-काल
भारतवर्ष पर पहले इस्लामिक आक्रमणों का दौर
अब हम विशेष रूप से पश्चिम एशिया के मुस्लिम सैन्य बलों द्वारा भारत पर किये गये पाशविक आक्रमणों की प्रकृति का विश्लेषण करेंगे। इसी परिप्रेक्ष्य में हम यह भी देखेंगे कि किस प्रकार हमारी क्षात्र चेतना ने इससे अपना रक्षण करते हुए हमारी संस्कृति का संरक्षण किया। इस संबंध में व्यापक विमर्श होता रहा है तथा जानकारियों का भंडार उपलब्ध है, फिर भी उन्हें संतोषजनक ढंग से प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। इसका...

भारत में हम ऐसे अनेक साम्राज्यो के उदाहरण पाते है कि एक क्षेत्र के साम्राज्य का आधिपत्य किसी अन्य क्षेत्र पर स्थापित हुआ हो। जैसे नेपाल और मिथिला के शासक सेन वंश तथा उत्तरभारत के सोलंकी लोग, कर्नाटक क्षेत्र से यंहा स्थापित हुए थे। इसी प्राकर राठोड़ वंश भी कर्नाटक के राष्ठ्रकूटों के वंशज है। इसी प्रकार गंगा के तटवासी गंग लोग दक्षिणी कर्नाटक के शासक बन गये थे। विजयनगर साम्राज्य के पतन के उपरांत नायक राजाओं द्वारा आंध्र, तमिलनाडु में प्रतिस्थापित...

रेड्डियों का विजय घोष तथा गजपतियों का सामर्थ्य
प्रतापरुद्र के अवसान के उपरांत आंध्र में रेड्डी राजाओं ने मुस्लिम आक्रमणों का सामना किया था। इनमें वेमारेड्डी तथा उसका अनुज मल्लारेड्डी मुख्य थे। चौदहवीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणों से आंध्र को सुरक्षित रख पाने में उनकी भूमिका प्रशंसनीय रही।
रेड्डी लोगों का संबंध शूद्र वर्ण से रहा है। काकतियों का संबंध तो वस्तुतः कम्म जैसी छोटी जाति से भी रहा है किंतु क्या उन्होंने क्षात्र भाव की ज्योति की प्रखरता...