भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 36
अतः उस समय क्या किया जा सकता था जब विदेशी आक्रांताओ ने युद्ध के सारे नैतिक मूल्यों (अर्थात् धर्म) की परवाह किये बिना हिंसात्मक आक्रमण किये। इस्लाम के रक्त रंजित आक्रमणों के समक्ष हमारी सभी युद्ध कौशल की योजनाऍ तथा राजनैतिक अनुमान अनुपयुक्त सिद्ध हुए। अनेक भागों की अपनी विशाल सर्वश्रेष्ठ कृति ‘इंडियन काव्य लिटरेचर’ में विशाखादत्त के मुद्राराक्षस के संबंध में लिखते हुए ए.के.वार्डर कहते हैं –