November 2024

अन्य राजपूत राजवंश गुर्जर चौलुक या चालुक्य वंश को सामान्य रुप से सोलंकी वंश के नाम स जाना जाता है। भीमदेव प्रथम (सन् 1022-64) अत्यधिक प्रसिद्ध था किंतु जब महमूद गजनी ने सोमनाथ पर आक्रमण किया तो वह एक डरपोक व्यक्ति की भांति अपनी जान बचाने के लिए कच्छ के सुरक्षित क्षेत्र में भाग गया। इस प्रकार उसने क्षात्र चेतना पर एक अमिट कलंक लगा दिया। इतना ही नही मूर्खता वश यह सदैव परमार भोज और कलचुरी कर्ण का भी विरोध करता रहा जो सनातन धर्म के प्रमुख संरक्षक थे...
ಕಲೆಯ ಸಮರ್ಥನೆ ವಿಷಯಾಭಾವತೋ ನಾತ್ರ ರಾಗಸ್ಯಾಭ್ಯಾಸಗಾಢತಾ | ಸ್ಥಾಯೀ ಚೇದ್ವಿಷಯೋ ನೈವಮಾಸ್ವಾದಸ್ಯ ಸ ಗೋಚರಃ || ಆಸ್ವಾದ ಏವ ರಾಗಶ್ಚೇನ್ನ ರಾಗೋ ಯೋಷಿದಾಸ್ಪದಃ | ಕಾರ್ಯಾತ್ಕಾರಣದೋಷಶ್ಚೇತ್ಕಿಂ ಸೀತಾ ವಿಷಯೋ ದ್ವಯೋಃ || ಯಥಾದರ್ಶಾನ್ಮಲೇನೈವ ಮಲಮೇವೋಪಹನ್ಯತೇ | ತಥಾ ರಾಗಾವಬೋಧೇನ ಪಶ್ಯತಾಂ ಶೋಧ್ಯತೇ ಮನಃ || ಸರ್ವಾಂಗಾನುಪ್ರವೇಶಃ ಸ್ಯಾತ್ಸಜಾತೀಯಂ ವಿನಾ ಕುತಃ | ಅತೋ ಭೋಗ್ಯೋಪದೇಶೇಽಸ್ಮಿನ್ ಭೋಗೇಷ್ವೇವಾದರೋ ಮುನೇಃ || (ಕಾವ್ಯಪ್ರಕಾಶವಿವೇಕ, ಸಂ. ೧, ಪು. ೯) ಕಲಾನುಭವದ ಕಾಲದಲ್ಲಿ ಇಂದ್ರಿಯಗ್ರಾಹ್ಯವಾದ ವಸ್ತುಗಳ ಅಸ್ತಿತ್ವವೇ ಇರದ ಕಾರಣ...
चन्देलों की उपलब्धियां कालिंजर को राजधानी बनाकर बुंदेलखंड पर शासन करने वाले चंदेल मूलतः शूद्र थे। वे अपने शौर्य के कारण क्षत्रिय बन गये। चंदेलों में हर्षपुत्र यशोवर्मा ने अपनी उपलब्धियों द्वारा स्वयं को एक विशिष्ट पहचान प्रदान की थी। उसने सीयक परमार, पालवंशी विग्रहपाल तथा कलचुरी के राजकुमार को परास्त किया था। खर्जुरवाट (खजुराहो) की विशाल मंदिर – श्रृंखला तथा चतुर्भुज नारायण देवालय आज भी इस राजा के शौर्य के साथ साथ उसकी धर्म परायणता तथा कलात्मक...
ರಸಾನುಭವದ ಅಲೌಕಿಕತೆ ಮತ್ತು ಅಧ್ಯಾತ್ಮನಿಷ್ಠೆಗಳನ್ನು ಎತ್ತಿಹಿಡಿದ ಆಲಂಕಾರಿಕರಲ್ಲಿ ಭಟ್ಟತೌತನು ಅಗ್ರಗಣ್ಯ. ಅವನದೆಂದು ಭಾವಿಸಲಾದ ಎರಡು ಶ್ಲೋಕಗಳಲ್ಲಿ ಈ ಭಾವ ಸೊಗಸಾಗಿ ಹರಳುಗಟ್ಟಿದೆ: ಪಾಠ್ಯಾದಥ ಧ್ರುವಾಗಾನಾತ್ತತಃ ಸಂಪೂರಿತೇ ರಸೇ | ತದಾಸ್ವಾದಭರೈಕಾಗ್ರೋ ಹೃಷ್ಯತ್ಯಂತರ್ಮುಖಃ ಕ್ಷಣಮ್ || ತತೋ ನಿರ್ವಿಷಯಸ್ಯಾಸ್ಯ ಸ್ವರೂಪಾವಸ್ಥಿತೌ ನಿಜಃ | ವ್ಯಜ್ಯತೇ ಹ್ಲಾದನಿಷ್ಯಂದೋ ಯೇನ ತೃಪ್ಯಂತಿ ಯೋಗಿನಃ ||[1] (ವ್ಯಕ್ತಿವಿವೇಕ, ಪು. ೯೪) (ದೃಶ್ಯಕಾವ್ಯದ) ಪಾಠ್ಯಭಾಗದಿಂದಾಗಲಿ, ಧ್ರುವಗೀತಗಳ ಗಾನದಿಂದಾಗಲಿ ರಸಪುಷ್ಟಿ ಒದಗಿದಾಗ (ಸಹೃದಯರು) ಇದರ...
Ocean
In the Vikramorvaśīyam, the poet has brought in several elements to amplify vipralambha-śṛṅgāra; as mentioned before, Purūrava gets separated thrice from Urvaśī and pines for her company. In no other play do we see the king going mad out of love for his beloved. It is likely that the playwright, Kālidāsa, wanted to provide special scope for elaborate music and enactment in his play and thus designed it to contain many such deeply emotional...
आज हमें पाल राजवंश द्वारा निर्मित कोई भी बडा पूजा केन्द्र अथवा देवालय दिखाई नहीं देता इसका एकमात्र कारण बख्तियार खिलजी तथा उसी के समान अन्य मुस्लिम आक्रांताओं के द्वारा किये गये रक्तरंजित द्वेषयुक्त विनाश लीला में निहित है जिसमें हजारों हिंदू मंदिरों को सतत रूप से नष्ट किया था। पालों से संबंधित आज हमें जो भी उपलब्ध है वे वास्तुशिल्प का कुछ भग्नावशेष है, कुछ तस्वीरें तथा आरेखन है जो विभिन्न म्यूसियमों में संरक्षित किये गये है – उदाहरणार्थ गरुड़...
Urvashi-Pururavas
There is quite a lot of difference between the story narrated above and the version that occurs in the Kathāsaritsāgara[1]. According to the Kathāsaritsāgara, Purūrava once spots Urvaśī in the Nandana-vana and falls in love with her. Bhagavān Viṣṇu, who understands Purūrava’s heart, instructs Indra to send Urvaśī to him. Purūrava brings her to his hometown and spends many days in conjugal bliss. Once, he helps Indra in his battle against the...