December 2024

हमारी दुर्बलताएँ मुख्य रूप से हमारी दुर्बलता के दो पक्ष रहे है :- प्रथम तो यह कि हमने अपने शत्रुओं को हमारे द्वार तक आने दिया तथा दूसरा यह कि हमने युद्ध के संबंध में विकसित रणनीतियों तथा शस्त्र विज्ञान की नवीनतम जानकारियों से स्वयं को अवगत नहीं रखा। इसी के साथ हमारे आपसी कलह ने इन दो कमजोरियों को हमारी पराजय का मुख्य कारण बनाया। कुछ इतिहासकारों का यह मत है कि “जब विदेशी आक्रमण कर्ता हिमालय की घाटियों को पार कर हमारे देश में प्रवेश करते रहे थे...
Like all conscientious citizens endowed with intellectual integrity, DVG was a caustic critic of the Indira Gandhi Government. He repeatedly pointed out the unsoundness of her schemes and slogans, the most glaring example being Garibi Hatao:  Mrs. Indira Gandhi has over-simplified the problem of poverty as she has over-simplified even the problem of wealth. She and her father have tried twenty-five years to create wealth with the only result...
Shakuntalaa
The Śākuntalopākhyāna of the Mahābhārata has taken the form of an impressive nāṭaka in the skilled hands of Kālidāsa’s. The story in the epic is akin to gold ore; it contains grains and threads of gold caught amidst rugged stone; the raw stone has been cleared away, the gold is put together, and has been converted into a beautiful image in the form of the nāṭaka; the image is polished and embellished; it is placed on a divine pedestal. Kālidāsa...
ह्वेनसांग के अनुसार शशांक ने गया में स्थित बोधि वृक्ष को कटवा दिया था तथा पास के मंदिर से बुद्ध की प्रतिमा को हटाने का आदेश दिया था। किंतु इस संबंध में आर.सी. मजूमदार असहमत है और लिखते है :- “यह तथा इसी प्रकार की अन्य कहानियां जो शशांक को बौद्ध धर्म पर अत्याचार करने वाले के रूप में दर्शाने के लिए लिखी गई है, उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है जब तक कि इस संबंध में कोई स्वतंत्र साक्ष्य उपलब्ध न हो। क्योंकि शशांक की राजधानी में ही बौद्ध धर्म फलता...
ಸಾಹಿತ್ಯಕೃತಿಗಳ ಭಾಷೆ ನ ಭಾಷಾನಿಯಮಃ ಪಾತ್ರೇ ಕಾವ್ಯೇ ಸ್ಯಾತ್ ಸೈಂಧವೀಮಿತಿ || (ಅಭಿನವಭಾರತೀ, ಸಂ. ೪, ಪು. ೨೭೮) ಪಾತ್ರದಲ್ಲಿ ಭಾಷೆಯ ನಿಯಮ ಇಲ್ಲ. ಕಾವ್ಯದಲ್ಲಿ ಅದು ಸೈಂಧವೀ ಎಂದಾಗಬಹುದು. ಇದೊಂದು ಸಂದಿಗ್ಧವಾದ ವಾಕ್ಯ. ಭಟ್ಟತೌತನದೇ ಆದ ಪೂರ್ವಾಪರ ವಿವರಗಳಿಲ್ಲದ ಕಾರಣ ಅಭಿನವಗುಪ್ತನ ಮಾತುಗಳಿಂದ ಇದರ ಅರ್ಥವನ್ನು ಊಹಿಸಬೇಕು.[1] ಪ್ರಕೃತ ಶ್ಲೋಕಶಕಲವು ಉಲ್ಲೇಖಗೊಂಡಿರುವ ಅಭಿನವಭಾರತಿಯ ಸಂದರ್ಭವನ್ನು ನೋಡುವುದಾದರೆ, ಈ ಭಾಗವು ನಾಟ್ಯಶಾಸ್ತ್ರದ ತಾಳಾಧ್ಯಾಯದಲ್ಲಿರುವ ಲಾಸ್ಯಾಂಗಗಳ ವಿವರಣೆಯಲ್ಲಿ ಬಂದಿದೆ. ಲಾಸ್ಯಾಂಗಗಳು ಗೀತವನ್ನು ಆಶ್ರಯಿಸಿವೆ....